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अकरम खुद को फिक्सर कहे जाने से दुखी हैं। उनका कहना है कि दुनियाभर के देश उनको महान गेंदबाज के तौर पर जानते हैं, लेकिन पाकिस्तानी लोग उन पर मैच फिक्सर का ठप्पा लगाते हैं। इस बात से वे बेहद निराश हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी है। वाइड वर्ल्ड ऑफ स्पोर्ट्स के साथ एक इंटरव्यू में वसीम अकरम ने कहा कि पाकिस्तान में कई ऐसे लोग हैं, जो उन्हें मैच फिक्सर के तौर पर देखते हैं, लेकिन मैं उन सारी बातों को भूलना चाहता हूं, ये सारी बातें सोचकर मानसिक तनाव नहीं बढ़ाना चाहता हूं।
पूर्व तेज गेंदबाज ने कहा कि इन्हीं आरोपों ने उन्हें अपनी आत्मकथा “सुल्तान: ए मेमॉयर” लिखने के लिए प्रेरित किया। अकरम ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और भारत में मेरा नाम वर्ल्ड इलेवन में अब तक के सबसे महान गेंदबाजों में से एक के रूप में लिया जाता है, लेकिन पाकिस्तान में सोशल मीडिया की यह जेनरेशन मुझे मैच फिक्सर कहती है।”
बता दें 1990 के दशक में पूर्व तेज गेंदबाज के खिलाफ मैच फिक्सिंग के आरोपों की जांच के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिम कय्यूम की अध्यक्षता में एक जांच पैनल का गठन किया था। इस पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कप्तान सलीम मलिक और अता-उर-रहमान सहित कई क्रिकेटरों को मैक्स फिक्सिंग का आरोपी माना था। लेकिन अकरम के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे।
रिपोर्ट में कहा गया था कि अता-उर-रहमान की झूठी गवाही के बाद आयोग अकरम को संदेह का लाभ देने को तैयार है। हालांकि, उनकी ईमानदारी पर संदेह करने के लिए कुछ सबूत मिले हैं। आयोग के इस बयान के बाद उन्हें पाकिस्तान क्रिकेट टीम की कप्तानी से हटा दिया गया था। रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद आयोग ने वसीम अकरम पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
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